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वन विभाग नें भरी बरसात में तोड़ दिया गरीबों का घर 

एक तरफ सरकार वन पट्टा दे रही दुसरी तरफ वन विभाग जेसीबी चलवा रहा  । 

सोनपुरी रेंज का मामला ,,पीड़ितों ने कहा पक्षपात पूर्ण कार्यवाही l

 बिलासपुर – कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत सोनपुरी से वन विभाग के कारनामों का जो फोटो और विडियो सामने आया है उसने वन विभाग के अमानवीय हरकत को सामने ला दिया है । वन विभाग के कुछ कर्मचारियों ने भरी बरसात में गांव के कुछ लोगों के घरों और झोपड़ों को जेसीबी से उजाड़ दिया साथ ही उनके पानी की व्यवस्था के लिए बनाए गए कुएं को भी पाट दिया । जबकि प्रदेश सरकार प्रदेश में रहने वाले ऐसे लोगों को वन पट्टा देकर उनके रहने की समस्या से निश्चिंत करती है जिनके पास रहने को जमीन नहीं है । सरकार की ये योजना उनके लिए वरदान है जिनके पास खुद की जमीन नहीं है और जो सरकारी जमीन पर अपनी झोपड़ी और घर बनाकर रहते हैं ।

एक तरफ सरकार वन पट्टा दे रही दुसरी तरफ वन विभाग लोगों के घर उजाड़ रहा । पूरा मामला सोनपुरी ग्राम पंचायत का है यहां बरसों से कई परिवार वन भूमि पर अपने झोपड़े बना कर जीवन यापन कर रहें है और इस जगह पर एक दो नहीं लगभग तीस से चालिस परिवार अपना जीवन बिता रहे हैं । ये माना कि वन भूमि पर होने वाले अवैध कब्जे को हटाना वन विभाग का काम है और लोगों को भी बिना पट्टे के वन भूमि पर अपने रहने के लिए घर मकान या झोपड़े नहीं बनाना चहिए ।

दूध पीते बच्चे को निकाला बाहर और चला दिया जेसीबी , पीड़ितों ने कहा पक्षपात पूर्ण कार्यवाही lलेकिन यहां सवाल वन विभाग के द्वारा की गई कार्यवाही पर है । यहां काबिज लोगों का कहना है कि वे यहां लगभग बीस से पच्चीस सालों से निवास कर रहे हैं यदि वन विभाग को हमें हटाना ही था तो पहले नोटिस देती या सुखे के मौसम में ये कार्यवाही करती इस बारिश में हमारे झोपड़े तोड़ दिए गए , हमारे पास रहने को और कोई जगह नहीं है ऐसे में हम अपने छोटे छोटे बच्चों और मवेशियों को लेकर कहां जाएंगे ।

पीड़ित लोगों का कहना सहीं भी है । जब ये बीसों साल से यहां निवासरत हैं तो फिर वन विभाग या पंचायत ने इन्हें पट्टा क्यों जारी नहीं किया जबकि हर साल सरकार ऐसे लोगों को पट्टा देने के लिए शिविर लगाती है । विभाग ने इस भरी बारिश में इनके झोपड़े तो तोड़ दिए लेकिन ये नहीं सोचा कि ऐसे मौसम में ये लोग कहां जाएंगे । और सबसे बड़ा सवाल इस कार्यवाही पर ये उठ रहा है कि जब आस पास लगभग तीस से चालिस और परिवारों के भी घर बने हुए हैं तो ऐसे में सिर्फ चार पांच परिवार पर ही ये कार्यवाही क्यों ? क्या विभाग यहां कोई और विभागीय कार्य करना चाहता है ?

इस पूरे मामले में वन विभाग के रेंजर राठिया से बात की गई तो उनका कहना था कि अभी तो मैं बाहर हूं आफिस पहुंचकर ही सारे मामले पर जानकारी दे सकता हूं ।

SURAJ GUPTA

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