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छत्तीसगढ़ : अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत से उठ रहे कई सवाल

सही तरीके से जिम्मेदारी नही निभा पा रहे अधिकारी

करोडों के जो फंड इनकी सुरक्षा के लिए आते उनका सही उपयोग होने लगे तो एटीआर की स्थिति बेहतर हो सकती है

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बाघिन का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला है. मृत बाघिन की पहचान AKT -13 के रूप में किया गया है. जिसकी उम्र लगभग 4 साल बताई जा रही है. घटना की जानकारी एटीआर की एसटीपीएफ के सदस्यों से मिली है.

वहीं इस घटना के बाद जिम्मेदार अधिकारी सबसे पहले अपना फोन बंद कर दिये ताकि सवाल जवाब का सिलसिला ना रहे और घटना से पल्ला ना झाड़ना पडे l

अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में मादा टाइगर की मौत हो गई. घटना के दो दिनों बाद तक एटीआर प्रबंधन अनजान रहा. किसी को टाइगर की मौत के बारे में भनक तक नहीं लगी और न ही किसी अधिकारी ने टाइगर के बारे में बताया. बाघिन का शव दो दिन पुराना बताया जा रहा है. शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारियों ने टाइगर का पोस्टमॉर्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया.

बीते 23 जनवरी की शाम वन परिक्षेत्र लमनी के ग्राम छिरहाट्टा बिरारपानी के बीच बेंदरा-खोंदरा के तरफ ग्रामीण पैदल जा रहे थे. इसी दौरान झाड़ के पास एक टाइगर को पड़ा हुआ देखा. उसे देखते ही ग्रामीणों के होश उड़ गए. लेकिन उसे बेसुध देख गांव वालों ने उसके पास जाकर देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी.मादा टाइगर की मौत के कारणों का खुलासा नहीं: गांव वालों ने इसकी सूचना वन विभाग के कर्मचारियों तक पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन इन सब में दो दिन बीत गए. किसी तरह वन विभाग के कर्मचारियों तक बाघ का शव मिलने की खबर पहुंची. कर्मचारियों के जरिए इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंची. लेकिन तब तक दो दिन बीत चुके थे. बाघ का शव मिलने की सूचना पर अफसर मौके पर पहुंचे. लमनी कोर परिक्षेत्र के छिरहट्टा के जंगल में एकेटी-13 मादा टाइगर का शव बरामद किया गया. शुक्रवार को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) प्रोटोकॉल के अनुसार मृत बाघिन का पोस्टमॉर्टम किया गया. फिलहाल टाइगर की मौत किन कारणों से हुई है ये सही पता नहीं चल पाया है l

लेकिन वहीं जिम्मेदार अधिकारी कह रहे है संभवतः टी 200 के साथ मेटिंग या टेरेटरी की लड़ाई का परिणाम हो सकता है । विस्तृत जानकारी पीएम रिपोर्ट के बाद दी जाएगी

बहरहाल सही तरीके से जिम्मेदारी नही निभा पा रहे अधिकारी और वहीं केंद्र व राज्य से करोडों के जो फंड इनकी सुरक्षा के लिए आते उनका सही उपयोग होने लगे तो एटीआर की स्थिति बेहतर हो सकती है l जिम्मेदार अधिकारी जो सुरक्षा और जानवरों की बेहतरी के लाख दावें करते है उनकी पोल खुलते रहती है l

SURAJ GUPTA

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